Ad

ढैंचा की खेती

ढैंचा की खेती से संबंधित विस्तृत जानकारी

ढैंचा की खेती से संबंधित विस्तृत जानकारी

भारत के विभिन्न राज्यों में किसान यूरिया के अभाव और कमी से जूझते हैं। यहां की विभिन्न राज्य सरकारों को भी यूरिया की आपूर्ति करने के लिए बहुत साड़ी समस्याओं और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

आज हम आपको इस लेख में एक ऐसी फसल की जानकारी दे रहे हैं, जो यूरिया की कमी को पूर्ण करती है। ढैंचा की खेती किसान भाइयों के लिए बेहद मुनाफेमंद है। क्योंकि यह नाइट्रोजन का एक बेहतरीन स्रोत मानी जाती है। 

भारत में फसलों की पैदावार को अच्छा खासा करने के लिए यूरिया का उपयोग काफी स्तर पर किया जाता है। क्योंकि, इससे फसलों में नाइट्रोजन की आपूर्ति होती है, जो पौधों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।

परंतु, यूरिया जैव उर्वरक नहीं है, जिसकी वजह से प्राकृतिक एवं जैविक खेती का उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पाता है। हालांकि, वर्तमान में सामाधान के तोर पर किसान ढैंचा की खेती पर अधिक बल दे रहे हैं। 

ये भी पढ़ें: किसानों को भरपूर डीएपी, यूरिया और एसएसपी खाद देने जा रही है ये सरकार

क्योंकि, ढैंचा एक हरी खाद वाली फसल है जो नाइट्रोजन का बेशानदार जरिया है। ढैंचा के इस्तेमाल के बाद खेत में किसी भी अतिरिक्त यूरिया की आवश्यकता नहीं पड़ती। साथ ही, खरपतवार जैसी समस्याएं भी जड़ से समाप्त हो जाती हैं।

ढैंचा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु 

उपयुक्त जलवायु- ढैंचा की शानदार उपज के लिए इसको खरीफ की फसल के साथ उगाते हैं। पौधों पर गर्म एवं ठंडी जलवायु का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। 

परंतु, पौधों को सामान्य बारिश की आवश्यकता होती है। ढैंचा के पौधों के लिए सामान्य तापमान ही उपयुक्त माना जाता है। शर्दियों के दौरान अगर अधिक समय तक तापमान 8 डिग्री से कम रहता है, तो उत्पादन पर प्रभाव पड़ सकता है। 

ढैंचा की खेती के लिए मिट्टी का चयन

ढैंचा के पौधों के लिए काली चिकनी मृदा बेहद शानदार मानी जाती है। ढेंचा का उत्पादन हर प्रकार की भूमि पर किया जा सकता हैं। सामान्य पीएच मान और जलभराव वाली जमीन में भी पौधे काफी अच्छे-तरीके से विकास कर लेते हैं।  

ये भी पढ़ें: घर पर मिट्टी के परीक्षण के चार आसान तरीके

ढैंचा की खेती के लिए खेत की तैयारी 

सर्व प्रथम खेत की जुताई मृदा पलटने वाले उपकरणों से करनी चाहिए। गहरी जुताई के उपरांत खेत को खुला छोड़ दें, फिर प्रति एकड़ के हिसाब से 10 गाड़ी पुरानी सड़ी गोबर की खाद डालें और अच्छे से मृदा में मिला दें। 

अब खेत में पलेव कर दें और जब खेत की जमीन सूख जाए तो रासायनिक खाद का छिड़काव कर रोटावेटर चलवा देना चाहिए, जिसके पश्चात पाटा लगाकर खेत को एकसार कर देते हैं।

ढैंचा की फसल की बुवाई करने का समय  

हरी खाद की फसल लेने के लिए ढैंचा के बीजों को अप्रैल में लगाते हैं। लेकिन उत्पादन के लिए बीजों को खरीफ की फसल के समय बारिश में लगाते हैं। एक एकड़ के खेत में करीब 10 से 15 किलो बीज की आवश्यकता होती है। 

ढैंचा की फसल की रोपाई  

बीजों को समतल खेत में ड्रिल मशीन के माध्यम से लगाया जाता हैं। इन्हें सरसों की भांति ही पंक्तियों में लगाया जाता है। पंक्ति से पंक्ति के मध्य एक फीट की दूरी रखते हैं और बीजों को 10 सेमी की फासले के लगभग लगाते हैं। 

लघु भूमि में ढैंचा के बीजों की रोपाई छिड़काव के तरीके से करना चाहिए। इसके लिए बीजों को एकसार खेत में छिड़कते हैं। फिर कल्टीवेटर से दो हल्की जुताई करते हैं, दोनों ही विधियों में बीजों को 3 से 4 सेमी की गहराई में लगाएं।

ज्यादा पैदावार के लिए नहीं पड़ेगी यूरिया की जरूरत, बस इस चीज के लिए करना होगा आवेदन

ज्यादा पैदावार के लिए नहीं पड़ेगी यूरिया की जरूरत, बस इस चीज के लिए करना होगा आवेदन

खेती में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल ना किया जाए, इसके लिए पूरे देश भर में जोर दिया जा रहा है. हालांकि केमिकल मुक्त खेती को बढ़ावा देने में सरकार भी पीछे नहीं हट रही है. जहां अब किसानों को खेती के लिए अब यूरिया की जरूरत नहीं पड़ेगी. क्योंकि उन्हें सरकार की तरफ से यूरिया से डबल शक्तिशाली हरी खाद ढेंचा की खेती के लिए लगभग 80 फीसद तक सब्सिडी, यानि की आसान शब्दों में समझा जाए तो 720 रुपये प्रति एकड़ के किसाब से अनुदान दिया जा रहा है. आजकल मिट्टी अपनी उपजाऊ क्षमता को खोटी जा रही है, वजह उर्वरकों का अंधाधुन इस्तेमाल करना है. जिसके बाद मिट्टी की खोई हुई उपजाऊ क्षमता को वापस लौटाने के लिए जैविक और नेचुरल खेती की तरफ रुख करने को बढ़ावा दिया जा रहा है. ताकि जमीन को रसायनों से होने वाले गंभीर और खतरनाक नुकसान से बचाया जा सके. इसके अलावा लोगों  को स्वस्थ्य कृषि उत्पाद भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. जैविक और रासायनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारें भी अब आगे आ चुकी हैं. और अपने अपने स्तर से किसानों की हर संभव मदद कर रही हैं.

हरियाणा के किसानों के लिए चलाई खास योजना

हरियाणा सरकार राज्य में किसानों को नेचुरल खेती करने के लिए बढ़ावा दे रही है. जिसके लिये कई योजनाओं की भी शुरुआत की गयी है. जिसमें से एक है, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एंव फसल विविधिकरण योजना. इस योजना के तहत खरी खाद की की खेती के लिए किसानों को 80 फीसद तक सब्सिडी यानि की 720 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जा रहा है. 

हरी खाद की खेती है बेस्ट इको फ्रेंडली ऑप्शन

एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर किसान हरी खास सनई ढेंचा को चुनते हैं, तो उन्हें यूरिया की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी. हरी खाद की कई खासियत हैं, जिनमें एक ये है कि यह बेहद शक्तिशाली खाद है, और यह बेस्ट इको फ्रेंडली ऑप्शन है. खेतों में यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल मिट्टी की सेहत बुरी तरह से बिगाड़ सकती है, वहीं हरी खाद से खेत को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. बताया जा रहा है कि हरी खास वातावरण में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायक है, और मिट्टी में जिवांशों की संख्या भी बढ़ाती है. इससे भूजल का लेवल भी काफी अच्छा होता है. जिस वजह से सरकार इसकी खेती पर भारी भरकम सब्सिडी दे रही है. 

यह भी पढ़ें: देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, 30 फीसदी जमीन पर नेचुरल फार्मिंग की व्यवस्था

हरियाणा सरकार 10 एकड़ पर दे रही अनुदान

हरियाणा सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. जिसके अनुसार राज्य के किसानों को हरी खाद की खेती के लिए प्रति एकड़ 720 रुपये का अनुदान देगी. इसके अलावा किसान भाई अपने 10 एकड़ तक की यानी की 72 सौ रुपये तक अनुदान ले सकते हैं. इतना ही नहीं हरियाणा सरकार ने खेती में लगने वाले लागत को कम करते हुए 80 फीसद खर्च कुछ उठाने का फैसला किया है. यानि की किसानों को सिर्फ 20 फीसद सब्सिडी पर ढेंचा के बीच क्रिदने होंगे.

हरी खाद उगाना क्यों है जरूरी?

एक्सपर्ट्स की मानें तो, ढेंचा और सनई जैसी हरी खाद मिट्टी के लिए काफी अच्छी होती है. क्योंकि यह खुद ब खुद गलकर अपने आप खाद बन जाती है. गर्मियों के मौसम और तपती धूप में हरी खाद खूब पनपती है. किसान इसकी कटाई के बाद उसी खेत में अन्य फसलों की खेती बड़े ही आराम से कर सकते हैं. हरी खाद का काम मिट्टी में उत्पादन की क्षमता को बढ़ाना है. 

इस तरह करें आवेदन, मिलेगा योजना का लाभ

  • हरियाणा के किसान ढेंचा के बीजों को अनुदान पर पा सकते हैं.
  • आपको आवेदन करने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल या फिर इसकी आधिकारिक वेबसाइट agruharayana.gov.in पर विजिट करना होगा.
  • इस वेबसाइट पर 4 अप्रैल 2023 ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा आपको मिल जाएगी.
  • ऑनलाइन आवेदन देने के बाद रजिस्ट्रेशन स्लिप, आदार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेजों की कॉपी हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्र पर जमा करना होगा.
  • यहां पर किसान भाई 20 फीसद राशि का भुगतान करने के बाद अनुदान पर हरी खाद का बीज ले सकते हैं.